आज पूरे भारत में, भारत ही क्यों पूरे विश्व में एक ऐसी महामारी अपना पैर पसार दिया है। इसके प्रोकोप से पूरा विश्व परेशान है। इससे मनुष्य मौत को सौप दिए का रहे है। प्रतिदिन हजारों के तादाद में मरीज मिल रहे है। प्रतिदिन इससे सैकड़ों मौते भी हो रही हैं। इससे मानव जाति डर सा गया है। चारो तरफ केवल कोरोंना, कोरोना, ....!
इस समय घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। यहां तक कि अब मानव से भी डर लगता है। अपने दोस्त , रिश्तेदार से भी डर लग रहा है। कोई किसी के पास बैठना नहीं चाहता है नाही बात करना चाहता है और सबसे डरावनी बात यह है कि अभी तक इसका कोई वैक्सीन नहीं उपलब्ध है। इस समय कॉरोना एक भूचाल से कम नहीं हैं जो पल भर में बहुत कुछ छीन ले रहा है। जो हमारा रक्षा कवच है ये उसे भी नहीं बक्श रहा है जैसे: डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, इत्यादि, पर में एक अहम बात आपके सामने रखने जा रहा हूं। केवल इसके चंद दुष्कर्म ही क्यों देखे जा रहे है ? क्यों कोई इसका अच्छाई नहीं देख पा रहा है? क्यों इसे महामारी के तरह देखे जा रहे है?
तो आइए इसके चंद दुष्कर्मों को नजरंदाज कर अच्छाइयों की ओर आकर्षित हुआ जाय।
कुछ अच्छाइयों मेरे तरफ से:-
१- आज नई दिल्ली नीला आसमान देख पा रहा है कोरोना के वजह से।
२- प्रदूषण कम हो गया कोरोना के वजह से।
३- पेड़ पौधे अब पहले से हरे भरे हो गए है कोरोना के वजह से।
४- पेड़ पौधे अब कम कट रहे है कोरोना के वजह से।
५- आज नई दिल्ली दुबई मै स्थित बुर्ज खलीफा को असानी से देख सकता है घर बैठे कोरोना के वजह से।
६- आज लाखो पशुओं को अपनी सर कटवाने से बचा रहा है ये कोरोना ।
७- जो प्रतिदिन सड़क हादसे से मरते थे वे बच गए कोरोना के वजह से ।
८- आज अभी तक चार हज़ार लोग मरे तो इतना डर है इसके पहले तो प्रतिदिन इससे ज्यादा मरते थे सड़क हादसे, नशे, इत्यादि में वे बच गए कोरोना के वजह से।
९- आज लोगो कर साथ का पता चल गया कोरोना के वजह से।
१०- चाइना अपनी असलियत दिखा दिया कोरोना के वजह से।
११- ओजोन परत डिप्लेशन ना के बराबर हो गया कोरोना के वजह से।
१२- ओजोन परत जिसमें छेद हुआ था वो भर गया कोरोना के वजह से।
१३- अपने पापो का रूप दिख गया कोरोना के वजह से।
१४- निर्दोष के ऊपर अत्याचार करने का सजा मिल रहा कोरोना के वजह से।
१५- निर्दोष जानवरों को मारकर खाने का सजा मिल रहा है कोरोना के वजह से।
क्या कुछ नहीं किया ये अदृश्य वस्तु और लोग कह रहे कि ये महामारी है। ये जान ले रहा है। अरे ये कुछ नहीं कर रहा। ये समझो कि ये तुम्हे याद कराने आया है अपने पापो का और छोड़ दो केवल दोषी ठहराने से इसे । दोषी कम और सुभचिंतक ज्यादा लग रहा है।
इसे पॉजिटिविटी के तरह देखे ।
नेगेटिविटी की तरह नहीं।
समझ में आ गया होगा सायद?
इस समय घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है। यहां तक कि अब मानव से भी डर लगता है। अपने दोस्त , रिश्तेदार से भी डर लग रहा है। कोई किसी के पास बैठना नहीं चाहता है नाही बात करना चाहता है और सबसे डरावनी बात यह है कि अभी तक इसका कोई वैक्सीन नहीं उपलब्ध है। इस समय कॉरोना एक भूचाल से कम नहीं हैं जो पल भर में बहुत कुछ छीन ले रहा है। जो हमारा रक्षा कवच है ये उसे भी नहीं बक्श रहा है जैसे: डॉक्टर्स, नर्स, पुलिस, इत्यादि, पर में एक अहम बात आपके सामने रखने जा रहा हूं। केवल इसके चंद दुष्कर्म ही क्यों देखे जा रहे है ? क्यों कोई इसका अच्छाई नहीं देख पा रहा है? क्यों इसे महामारी के तरह देखे जा रहे है?
तो आइए इसके चंद दुष्कर्मों को नजरंदाज कर अच्छाइयों की ओर आकर्षित हुआ जाय।
कुछ अच्छाइयों मेरे तरफ से:-
१- आज नई दिल्ली नीला आसमान देख पा रहा है कोरोना के वजह से।
२- प्रदूषण कम हो गया कोरोना के वजह से।
३- पेड़ पौधे अब पहले से हरे भरे हो गए है कोरोना के वजह से।
४- पेड़ पौधे अब कम कट रहे है कोरोना के वजह से।
५- आज नई दिल्ली दुबई मै स्थित बुर्ज खलीफा को असानी से देख सकता है घर बैठे कोरोना के वजह से।
६- आज लाखो पशुओं को अपनी सर कटवाने से बचा रहा है ये कोरोना ।
७- जो प्रतिदिन सड़क हादसे से मरते थे वे बच गए कोरोना के वजह से ।
८- आज अभी तक चार हज़ार लोग मरे तो इतना डर है इसके पहले तो प्रतिदिन इससे ज्यादा मरते थे सड़क हादसे, नशे, इत्यादि में वे बच गए कोरोना के वजह से।
९- आज लोगो कर साथ का पता चल गया कोरोना के वजह से।
१०- चाइना अपनी असलियत दिखा दिया कोरोना के वजह से।
११- ओजोन परत डिप्लेशन ना के बराबर हो गया कोरोना के वजह से।
१२- ओजोन परत जिसमें छेद हुआ था वो भर गया कोरोना के वजह से।
१३- अपने पापो का रूप दिख गया कोरोना के वजह से।
१४- निर्दोष के ऊपर अत्याचार करने का सजा मिल रहा कोरोना के वजह से।
१५- निर्दोष जानवरों को मारकर खाने का सजा मिल रहा है कोरोना के वजह से।
क्या कुछ नहीं किया ये अदृश्य वस्तु और लोग कह रहे कि ये महामारी है। ये जान ले रहा है। अरे ये कुछ नहीं कर रहा। ये समझो कि ये तुम्हे याद कराने आया है अपने पापो का और छोड़ दो केवल दोषी ठहराने से इसे । दोषी कम और सुभचिंतक ज्यादा लग रहा है।
इसे पॉजिटिविटी के तरह देखे ।
नेगेटिविटी की तरह नहीं।
समझ में आ गया होगा सायद?